Tuesday, August 16, 2016

Two India...

Hi All, This is my new poem based on the concept of Two India. We all know that India is a secular country. It has many cultures, languages and religions. But, it also has a differentiation based on the people's mentality. There are two India that resides in my country. This poem is a satire on the same concept.



"मेहफिल  ... "

कई है बन्दे जो यहाँ, रहते जो बस घर-घर में है,
देखते है इक नज़र से, सोचते दो मन से है,
गिरगिटों सी है ये फितरत, दीखते जो एक रंग में है,
क्या बताये आज तुमको, बात जो मेहफिल में है।

कई है बन्दे जो यहाँ, कहते है जो करते है वो,
जेबे है इनकी ही खाली, दीखते है आदर्श वो,
सब जगह इनकी ज़रुरत, इनकी न सोचे कोई,
क्या बताये आज तुमको, बात इस मेहफिल में है।

ये थी इक गाथा सुनते, भारत के स्वरूपों की,
भिन्न है जो प्रारम्भ से और आज के आरम्भ में भी,
साथ मिलके वो मनाते है दिवाली ईद भी,
क्या बताये आज तुमको, बात जो घर-घर में है।

पाने को स्वतंत्रता, दी है कई कुर्बानियाँ,
मानते है सब यहाँ, इनकी है ये मेहरबानियाँ,
सींचा है भारत को हमने, सबकी इन उम्मीदों से,
सिखलाती हमको कहानी, आज़ादी के महत्व से।