Thursday, April 24, 2014

Selfishness...

Selfishness of Self-Centeredness is like an insect that makes a person hollow from inside by eating all the reasoning powers slowly. Thus, we must try to protect ourselves from this insect by using our reasoning abilities efficiently.

Thus, a small dedication to this natural but non-shrinking feeling.

स्वार्थ … 

ऐसा हृदय नहीं देखा, जिसे समझाए समझ न पाए,
कैसी माया स्वार्थ की, देख कर न देख पाए,
सत्संग की संगती भी, कुछ न असर दिखाए,
ऐसी वाणी फिर भी निकले, जो आप आप ही गाये ।

ज़िन्दगी की ये विडम्बना, कैसे किसे समझाऊं, 
लोक माया छोड़ कर, सब को एक ही चीज़ बताऊँ,
सब कुछ पीछे छुट जायेगा, दुनिया की टोकरी में, 
राही अकेला चल चलेगा, ये कैसे सबको दिखाऊं ।

मंदिर बना, मस्जिद बना, पर शांति कही न पाऊं, 
दर दर खोजा आपको, पर माटी ही लाऊं,  
एक बात बतलाई सभी ने, कि मैं उनको न पाऊं,   
कुछ ऐसा इस पार करू, कि उनको मैं पा जाऊं ।

Friday, April 18, 2014

Night..

Night is something that is very special in our life. Night is the one that helps us to retreat to our cozy beds. It is the one that helps us to take a short break from our busy life. Night also helps us to gather all our hopes and beliefs that will rise again with the new morning.

Thus, my small dedication to the ultimate light or darkness that is pertained in the entire Universe.

रात...


दिन के बाद के हर सन्नाटे से डर लगता है,
रातों में चलते हुए भी डर लगता है ।

डर  लगता है उन बातों से  जो पुरानी यादें बन जाती है,
डर लगता है उन यादों से जो कभी भी चली आती है ।

ऐसी ही कई यादें आँखों पे छायी है,
रातों के इस सूनेपन को खुद में समायी है ।

प्यार की वो बातें जो कभी हमने सोची थी,
प्यार भरी ज़िन्दगी जो कभी हमे बक्शी थी ।

हर वो प्यारी चीज़ रात को ही क्यों याद आती है,
रात में ऐसा क्या है जो बीती ज़िन्दगी बन जाती है ।

दिन के उजालो में सब साफ़ नज़र आता है,
पर मन के कागज़ पे लिखा शब्द छुप जाता है ।

इनकी सिर्फ एक ही ज़ुबान है,
जो पढ़ सके वही तुम्हारा जहान है ।

" रातों को जल सके जो वही मशाल जलना,
  रात ही है जो हकीकत के करीब लाती है,
  हो सके तो इसे कभी मत भुलाना । " 

Wednesday, April 9, 2014

Birthday...

Birthday...

This is the one that cannot be expressed in words. Thus, I am trying to portray my view through the colours of my poetry.


जन्मदिन 

अकेला ऐसा दिन साल का जो सिर्फ तुम्हारा है,
पर जीवन में पड़ती सबकी ज़रूरत और सहारा है।

एक ऐसा दिन जिसका कब से इंतज़ार रहता है,
कई सपने और आरज़ू का बाज़ार होता है।

हम ये करेंगे, वो करेंगे,
सोचते है दुनिया के राजा बनेंगे।

बीत गयी रातें जब तोहफे लिया करते थे,
अब साथ लाती है यादें, जब हम जीया करते थे।

वो दोस्तों के साथ घूमने जाना,
और सबको अपनी तरफ से खिलाना।

कितना इंतज़ार रहता था बचपन में इस दिन का,
क्योंकि पता होता था नए खिलौने  और कपडे मिलने का।

आँखों में अब वो इंतज़ार कहा,
अब ये दिन भी हर दिन जैसा बना।

कॉलेज गए तो पता चला इस दिन को छुपाना,
पता चला दोस्तों को तो बर्थडे बोम्ब्स था पाना।

कितना ही छुपाते उनसे मगर,
केक देख कर भर आती नज़र।

वो सब पहुँच जाते आधी रात को,
और फिर लगता जैसे इस दुनिया में आना पाप हो।

अब बस हर तरफ ये यादें है,
कुछ मेरी तो कुछ उस दिन कि बातें है।

कैसे ये एक दिन साल का सबसे बड़ा था,
पर अब एहसास होता है,
कि एक और साल जीवन का बीत चला था।

वो यादें वो बातें जाने कहा छूट गयी,
जीवन के सफ़र में जैसे तक़दीर रूठ गयी।

रास्ता तो अब भी बाकी है चलने का,
इंतज़ार है फिर पेड़ो कि छाव मिलने का।

कब लौटेंगे वो बचपन के दिन,
अब तो दिन कटते है जीवन को उँगलिओ पे गिन।

क्यो हम इतनी जल्दी बड़े हो जाते है,
क्यों अपने घोसलो को छोड़ हम आसमान में उड़ना चाहते है।

जन्मदिन के इस दिन को सबसे बड़ा कहते है,
पर अब इस दिन हम बचपन को याद करते है।