Friday, December 11, 2015

Dawn... The Morning

This one is after quite a long time. I was just lost in the middle of some maze but, thanks to God, I am rescued hail and hearty.

I hope you will like my new poem.....

सवेरा ... 

फिर आज कई दिनों बाद नींद से जागा हूँ ,
फिर खुली है आँख, उठ बिस्तर से भागा हूँ ,
ये नई सुबह का एहसास है या पुरानी यादों की रौशनी ,
फिर अरमानो के झरोखे से बाहर झाका हूँ।

बनाते बनाते ये कभी एहसास ही नहीं हुआ ,
सपनो के महल में कही दूर खो गया ,
आज जागा तो पता चला सच्चाई का ,
फिर इस बार किले को धरती पे बनाना भूल गया।

तक़्दीर बनाने वाले ने भी खूब बनाया है ,
रेत के किलो सी तक़्दीर सबकी बनायीं ,
कभी बनती तो कभी लहरों में मिल जाती है ,
फिर इसी महल को लहरों से दूर बनाना भूल गया।

फिर आज कई दिनों बाद नींद से जागा हूँ ,
सुबह की ठंडी में बाहर निकला ,
सूरज की गर्मी को साँसों में भरे ,
फिर अरमानो के किले बनाने मैं चला।


Wednesday, January 14, 2015

Someone...

This poetry is about someone and is also for someone. Someone, who is very important to me but is still not with me. Someone, whom i have not met in months or years probably but still i meet her everyday.
I just wish everyday that i do not meet that someone ever but, still there is a void in my heart that craves for someone.


कोई …

कल के बिखरे मोतियों को समेटने मैं जब चला
किसी की बातों के असर का मुझे थोड़ा पता चला
था कितना बेवक़ूफ़ मैं पहले और आज भी हूँ
चल दिया था बिन सोचे कुछ और आज भी वही कर रहा ।

पहली बार जब देखा था उसको, जाना था कुछ एहसास है वो
पास गया देखा कुछ देर बात कर, तो लगा कुछ ख़ास है वो
प्यार से वो जब एक बार मुस्कुराती तो सूरज की किरणे भी छुप जाती
शीश के परदे से जब नज़रे उठाती, तो जाना मेरे दिल के पास है वो ।

बातें हुई, मिलने लगा, बस किसी न किसी बहाने उसके पास जो जाना था
डूबने का तो बहाना था, अजी अपने दिल को जो डूबने से बचाना था
मेरे दिल के एहसास ने कई बार चाहा, उससे कहू, उसको बता तो दूँ
पर हर बार सोचता कि उससे हाँ कराने का वो कौन सा बहाना था ।

फिर एक दिन आया, सब चल दिए अपनी अपनी राह
लेकर वो बात अपने दिल में, न कर सका जो लफ़्ज़ों में बयाँ
थक कर समझौता किया मैंने खुद से और सोचा की हंसी ख्वाब था कोई
देखते है ऊपर वाले ने किसे लिखा जिसपे हो जाऊंगा फना ।

समय ने फिर कुछ ऐसा चलाया चक्कर
घूम कर आया वही जहाँ था उसका घर
फिर हुई मुलाक़ात, कुछ बात, हमारे बीच
पर इस बार हुई पहले से भी बड़ी गड़बड़ ।

अब क्या कहु, थक गया हूँ मैं उस लीलाधर की मुरली से
कुछ करो प्रभु, मिला दो उसे मुझसे कही से
यही प्रार्थना हर बार करता हूँ मन में
पर ऊपर से मुस्कराहट लिए, उसका नाम भी नहीं लेता मुख से ।

Thursday, January 1, 2015

Pain..

Pain is the actual face of life. Pain is the one that makes us realize who we actually are. Pain helps us to remember God and loved ones. Pain is the one that defines the measurement of happiness. Pain is always their with us whether we want them or not.


 दर्द …

दर्द-ऐ-दिल का आलम क्या है, अब मैं क्या बताऊँ 
दर्द-ऐ-रूह का आलम क्या है, अब मैं क्या समझाऊँ 
यूँ तो हमने भी कोशिश बहूत की उनको भुलाने की
दर्द-ऐ-यादों में उनको बसा कर, अब मैं कहाँ जाऊँ। 

दर्द-ऐ-पल में क्या होता है, ये शायद कोई न समझे
दर्द-ऐ-राहों पे अकेले चलना, ये कभी किसी को न पड़े 
यूँ तो हम लड़ सकते हज़ारों से है, पूरे जहाँ से है 
दर्द-ऐ-दर्द से लड़ने की ज़रुरत, कभी किसी को न आये। 

दर्द-ऐ-वक़्त पे जो हज़ारों ज़ख्म है, उनको कैसे बर्दाश करू 
दर्द-ऐ-आँखोँ की जो फ़रमाईश है, उनको कैसे पूरा करू 
यूँ तो जीया करते थे हम भी ज़िन्दगी को जी भर 
दर्द-ऐ-साए में जो चेहरा है, उसको कैसे ज़िंदा करू। 
 

Destiny...

Destiny is something that weaves its web with time. Nobody knows what it has hidden in its basket for whom. It is always a gift that surprises people and their surroundings when the gift gets unwrapped. There is a saying that whatever decisions we take is not ours, but is just a way that is provided by destiny to lead us to our fate.


नियती …

ज़िन्दगी कितना कुछ दिखती है
अधूरे पलो को अकेला है
यूँ तो हम सब सदा ही अपनों के करीब होते है
पर फिर भी तन्हाई बेबस छोड़ जाती है। 

जिन नन्हे कदमो ने पग धरा था धरा पर
एक दिन वो चल पड़ते है कर्म धरा पर
सारे बंधन टूटते है, छूट जाते है 
पर जीवन की लौं नहीं बुझती इस धरा पर। 

आगे चलते हुए जब बड़े होते है शक्श यूँ
दर्पण से भी शर्माती है अक्स क्यों 
आँखों के सामने बीता पूरा जीवन है 
फिर भी भविष्य की समझ से कहते बक्श क्यों। 

हाथों में हाथ मिलता फिर जीवन साथी का 
लौह पद भी बन जाते फूल राही का 
ये कैसी विडम्बना है नियती कि 
श्री कृष्ण को भी तजना पड़ा था
आँगन यशोदा माई का।