Wednesday, January 14, 2015

Someone...

This poetry is about someone and is also for someone. Someone, who is very important to me but is still not with me. Someone, whom i have not met in months or years probably but still i meet her everyday.
I just wish everyday that i do not meet that someone ever but, still there is a void in my heart that craves for someone.


कोई …

कल के बिखरे मोतियों को समेटने मैं जब चला
किसी की बातों के असर का मुझे थोड़ा पता चला
था कितना बेवक़ूफ़ मैं पहले और आज भी हूँ
चल दिया था बिन सोचे कुछ और आज भी वही कर रहा ।

पहली बार जब देखा था उसको, जाना था कुछ एहसास है वो
पास गया देखा कुछ देर बात कर, तो लगा कुछ ख़ास है वो
प्यार से वो जब एक बार मुस्कुराती तो सूरज की किरणे भी छुप जाती
शीश के परदे से जब नज़रे उठाती, तो जाना मेरे दिल के पास है वो ।

बातें हुई, मिलने लगा, बस किसी न किसी बहाने उसके पास जो जाना था
डूबने का तो बहाना था, अजी अपने दिल को जो डूबने से बचाना था
मेरे दिल के एहसास ने कई बार चाहा, उससे कहू, उसको बता तो दूँ
पर हर बार सोचता कि उससे हाँ कराने का वो कौन सा बहाना था ।

फिर एक दिन आया, सब चल दिए अपनी अपनी राह
लेकर वो बात अपने दिल में, न कर सका जो लफ़्ज़ों में बयाँ
थक कर समझौता किया मैंने खुद से और सोचा की हंसी ख्वाब था कोई
देखते है ऊपर वाले ने किसे लिखा जिसपे हो जाऊंगा फना ।

समय ने फिर कुछ ऐसा चलाया चक्कर
घूम कर आया वही जहाँ था उसका घर
फिर हुई मुलाक़ात, कुछ बात, हमारे बीच
पर इस बार हुई पहले से भी बड़ी गड़बड़ ।

अब क्या कहु, थक गया हूँ मैं उस लीलाधर की मुरली से
कुछ करो प्रभु, मिला दो उसे मुझसे कही से
यही प्रार्थना हर बार करता हूँ मन में
पर ऊपर से मुस्कराहट लिए, उसका नाम भी नहीं लेता मुख से ।

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