Saturday, August 25, 2018

Search ...

Hi All,

Hope you all are good, its been long time since i wrote my last poem. This is the one with a thought of someone who is yet to be found. So, please enjoy this one and do write your reviews so that i can improve myself further.

तलाश ...

सूखी हुई धरती की रूह में इक कम्पन है,
दीदार हो उसका जिसकी चाहत की तर्पण है। 
यूँ तो प्यार के रस का रसपान सभी करते है, 
पर इसमें विलुप्त हो जाना ही सच्चा समर्पण है। 

जाने कबसे उसकी आस लिए रास्ते पे बैठा हूँ,
कब आएगी वो, जो मिले उससे पूछता हूँ। 
हर किसी का दरवाज़ा खटखटा कर देख लिया,
हर बार निराश हो, आसमान को देखता हूँ। 

उस माँ से एक बार मज़ाक मज़ाक में पुछा,
कि क्या भूल गयी इस दिल का दूसरा भाग बनाना। 
न मैं राधा हूँ, और न ये द्वापर,
जो कृष्णा के अभाव में व्यतीत कर दूँ जीवन अपना। 

है तलाश आज भी उस चेहरे की जिसे देखा है मैंने,
साफ़ तो कुछ याद नहीं, धुंधला सा देखा था सपने में। 
हर रोज़ इसी खख्याल से नींद खुल जाती है कि,
साफ़ होगी तस्वीर उसकी और झलक मिलेगी आँखों में। 

ये बेचैनी सी क्यों है, समझ नहीं पाता मन,
एक दिन मुलाक़ात होगी, कहते है मुझसे सब जन। 
डर एक ही बात का लगा रहता है इस दिल को,
और उसी की तैयारी में जुटा हुआ है,


की कहूंगा क्या उनसे, जब मिलेंगे दर्शन।