Wednesday, April 9, 2014

Birthday...

Birthday...

This is the one that cannot be expressed in words. Thus, I am trying to portray my view through the colours of my poetry.


जन्मदिन 

अकेला ऐसा दिन साल का जो सिर्फ तुम्हारा है,
पर जीवन में पड़ती सबकी ज़रूरत और सहारा है।

एक ऐसा दिन जिसका कब से इंतज़ार रहता है,
कई सपने और आरज़ू का बाज़ार होता है।

हम ये करेंगे, वो करेंगे,
सोचते है दुनिया के राजा बनेंगे।

बीत गयी रातें जब तोहफे लिया करते थे,
अब साथ लाती है यादें, जब हम जीया करते थे।

वो दोस्तों के साथ घूमने जाना,
और सबको अपनी तरफ से खिलाना।

कितना इंतज़ार रहता था बचपन में इस दिन का,
क्योंकि पता होता था नए खिलौने  और कपडे मिलने का।

आँखों में अब वो इंतज़ार कहा,
अब ये दिन भी हर दिन जैसा बना।

कॉलेज गए तो पता चला इस दिन को छुपाना,
पता चला दोस्तों को तो बर्थडे बोम्ब्स था पाना।

कितना ही छुपाते उनसे मगर,
केक देख कर भर आती नज़र।

वो सब पहुँच जाते आधी रात को,
और फिर लगता जैसे इस दुनिया में आना पाप हो।

अब बस हर तरफ ये यादें है,
कुछ मेरी तो कुछ उस दिन कि बातें है।

कैसे ये एक दिन साल का सबसे बड़ा था,
पर अब एहसास होता है,
कि एक और साल जीवन का बीत चला था।

वो यादें वो बातें जाने कहा छूट गयी,
जीवन के सफ़र में जैसे तक़दीर रूठ गयी।

रास्ता तो अब भी बाकी है चलने का,
इंतज़ार है फिर पेड़ो कि छाव मिलने का।

कब लौटेंगे वो बचपन के दिन,
अब तो दिन कटते है जीवन को उँगलिओ पे गिन।

क्यो हम इतनी जल्दी बड़े हो जाते है,
क्यों अपने घोसलो को छोड़ हम आसमान में उड़ना चाहते है।

जन्मदिन के इस दिन को सबसे बड़ा कहते है,
पर अब इस दिन हम बचपन को याद करते है।

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