Sunday, February 12, 2017

Mohabbat ..

I am posting this now as i thought that it is worth to be posting.. These are my feelings and my expressions in a mix of two beautiful languages.. Hindi and Urdu..

Kindly read and give your feedback..


मोहब्बत ... 

जशन-ए-मोहब्बत को दिल में बसाया,
नफरत-ए-आंधी को लबो पे भी लाया,
ऐ मुक़द्दर के मालिक, 
तेरी मुल्कियत खिदमत में खुद को सजदा कर 
खुद को आशिक़ो के जनाज़े का हिस्सा बनाया। 

जशन-ए-मोहब्बत की रूह को छूकर,
तेरे पास होने के ऐहसास को खोकर,
ऐ मुक़द्दर के मौला,
तुझे अपनी ज़िन्दगी के कारवाँ का बादशाह समझकर
उसको बेवफा समझा और खुद को काफ़िर बनाया। 

जशन-ए-मोहब्बत में रियायत बरती,
तुझे दूसरे के आशियानें में देख ये जां निकलती,
ऐ मुक़द्दर के शहंशाह,
बस इतना बता दे क्या कसूर था मेरा
क्यों इस दिल को आईना और उसे पत्थर का बनाया। 

जशन-ए-मोहब्बत की आज़ादी का नशा है,
अकेलेपन में डूबने की मिली इस दिल को सजा है,
ऐ मुक़द्दर के मसीहा,
बस इतना बता दे क्या पाया इस नन्ही सी जान को सताकर,
क्यों रास्ता दिखा कर हर बार मुझे भटकाया। 

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