Sunday, May 11, 2014

Mother's Day...

Mother is not only a word but an emotion that is present in everyone's life but still experienced by most of us. Dedicating the whole life to a woman, who raises us from a nobody to somebody, is still lesser than the love she gives. The world has grown so busy that we have started lacking this feeling but still there is a hope and that is prepared by celebrating this day.

My small dedication to incarnation of "THE ULTIMATE" on this earth.


माँ.… 


माँ हर वक़्त हमे याद आती है,
या यूँ कह लो, दूर होकर भी पास रह जाती है ।
चाहे वो सुबह की चाय हो या शाम क नाश्ता,
उसके हाथों का बना खाना हि भुख मिटाती है ।

हर रोज़ सुबह उठ कर सबसे पहले तुझे सोचता हूँ,
तू अगर पास होती तो प्यार से उठ्ता हुँ ।
रात को डर लगे तो तुझको ही पुकारू,
प्यास लगने पर पानी किस्से मांगू ।

माँ तू जो नहीं पास मेरे,
तो सब अधुरा लगता है ।
रहता हूँ बड़े शेहर में,
पर अपना घर ही प्यारा लगता है ।

ऊँची ऊँची इमारते है यहाँ कहने को,
पर सुकून नहि कही रह्ने को ।
नींद तो तब ही आती है आँखोँ में,
जब लोरी तेरी गुनगुनाती है कानोँ में ।

कैसे तुझको समझाऊं अपनी बातेँ,
किस तरह बताऊँ कैसे कटती है रातें ।
मन में हर वक़्त एक ही सवाल है,
क्यों नहीं कह सकता मन की सारी बातेँ ।

क्यों लोग अपनी माँ को वृद्धाश्रम मैं छोङ जाते है,
क्यों वो ये नहीं समझ पाते है कि ये ठीक नहीं ।
जिसके कारण तुम आज हो इस दुनीया में,
उसको क्यों उसकी विवशता पर रोने छोड़ जाते  है ।

" चीज़ो की वास्तविकता तब समझ आति है,
जब वो समय बीता हुआ कल बन जाती है । 
माँ ही एक ऐसी है जिसकी आँखों से,
ये पूरी दुनिया भी हसीन नज़र आती है । "

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